परिचय
मेहुल चोकसी का नाम भारत के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक में सामने आया था। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला, जिसमें लगभग 13,500 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई थी, का मुख्य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी थे। चोकसी को भारत में धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, और बैंकिंग अनियमितताओं के आरोपों का सामना करना पड़ा।
यह मामला तब और पेचीदा हो गया जब मेहुल चोकसी एंटीगुआ और बारबुडा से अचानक गायब हो गया। उनकी फरारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर अंतरराष्ट्रीय कानून, प्रत्यर्पण संधि, और भारत की कोशिशों के संदर्भ में। इस लेख में हम मेहुल चोकसी के फरार होने की पूरी घटना, उसके कानूनी पहलू, और भारत सरकार की कार्रवाई पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
कौन हैं मेहुल चोकसी?
- मेहुल चोकसी भारत के प्रमुख हीरा व्यापारी और गीतांजलि जेम्स नामक कंपनी के मालिक थे।
- वह नीरव मोदी के मामा हैं और दोनों पर PNB घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
- जनवरी 2018 में, जब यह घोटाला उजागर हुआ, तब चोकसी भारत से भागकर एंटीगुआ और बारबुडा चला गया और वहाँ की नागरिकता प्राप्त कर ली।
मेहुल चोकसी का एंटीगुआ से फरार होने का घटनाक्रम
1. चोकसी का अचानक गायब होना
- मई 2021 में, मेहुल चोकसी अचानक एंटीगुआ से लापता हो गया।
- उसकी गाड़ी जॉली हार्बर में मिली, लेकिन वह खुद मौजूद नहीं था।
- कुछ दिनों बाद पता चला कि वह डोमिनिका में पाया गया।
2. डोमिनिका में गिरफ्तारी
- एंटीगुआ के अधिकारियों ने दावा किया कि चोकसी अपहरण किए जाने की बात कह रहा था।
- डोमिनिका में उसे अवैध रूप से देश में घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
- भारतीय सरकार ने डोमिनिका की अदालत में प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया।
3. अपहरण का दावा
- चोकसी के वकीलों ने कहा कि उसे भारतीय एजेंसियों द्वारा अपहरण कर डोमिनिका ले जाया गया।
- चोकसी की वकील ने यह भी कहा कि भारतीय एजेंटों ने उसे जबरन एक नाव में बिठाया।
- एंटीगुआ और डोमिनिका सरकार इस मामले पर अलग-अलग दावे कर रही थीं।
भारत की कानूनी कार्रवाई
1. प्रत्यर्पण की कोशिशें
- भारत ने 2019 में मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया था।
- एंटीगुआ सरकार ने भी संकेत दिए थे कि वह चोकसी को भारत वापस भेजने पर विचार कर सकती है।
- लेकिन चोकसी ने स्वास्थ्य कारणों और मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की।
2. इंटरपोल और रेड कॉर्नर नोटिस
- भारतीय जांच एजेंसियों ने चोकसी के खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने की कोशिश की।
- चोकसी ने अपनी कानूनी टीम की मदद से यह दावा किया कि वह राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार है और उसके खिलाफ साजिश हो रही है।
3. सुप्रीम कोर्ट और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चोकसी की संपत्तियों को जब्त करना शुरू कर दिया।
- भारतीय न्यायपालिका ने PNB घोटाले के अन्य आरोपियों को पकड़ने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की दिशा में कदम उठाए।
चोकसी के फरार होने के पीछे की संभावित साजिश
1. क्या चोकसी ने खुद ही अपनी फरारी की योजना बनाई?
- कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चोकसी ने खुद ही यह योजना बनाई और उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
- फरारी के दौरान कई लोगों की संलिप्तता हो सकती है।
- चोकसी की कानूनी टीम ने फरारी के बाद उसे कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के लिए पहले से रणनीति बनाई हो सकती है।
2. क्या भारत सरकार का कोई गुप्त ऑपरेशन था?
- कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की एजेंसियाँ चोकसी को गुप्त रूप से वापस लाने की योजना बना रही थीं।
- चोकसी का दावा था कि भारतीय एजेंटों ने उसे अगवा किया और डोमिनिका भेज दिया।
- हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया।
3. एंटीगुआ और डोमिनिका की भूमिका
- एंटीगुआ सरकार ने शुरू में चोकसी का समर्थन किया, लेकिन जब मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया, तो उसने उसे भारत को सौंपने के संकेत दिए।
- डोमिनिका सरकार ने चोकसी को अवैध रूप से देश में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया और बाद में भारत को सौंपने की प्रक्रिया पर विचार किया।
भारत और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव
1. भारत की छवि और सख्त कानूनों की जरूरत
- यह घटना दर्शाती है कि भारत को आर्थिक अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है।
- सरकार को ऐसे अपराधियों के देश से भागने से रोकने के लिए कड़े नियम बनाने होंगे।
2. अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग
- इस मामले ने दिखाया कि भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रणालियों के साथ मजबूत सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता है।
- एंटीगुआ और डोमिनिका जैसी सरकारों से प्रत्यर्पण को लेकर कूटनीतिक प्रयासों को और मजबूत किया जाना चाहिए।
3. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराधों पर सख्ती
- यह मामला सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि बड़े आर्थिक अपराधी कैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का दुरुपयोग कर सकते हैं।
- इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को इस तरह के अपराधियों पर लगाम कसने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
- भारत को सख्त प्रत्यर्पण संधियाँ बनानी चाहिए ताकि भगोड़े अपराधियों को आसानी से वापस लाया जा सके।
- आर्थिक अपराधों पर सख्त कानून बनाए जाने चाहिए जिससे अपराधी देश छोड़कर भागने से पहले ही पकड़े जाएँ।
- किसी भी आर्थिक अपराधी को नागरिकता देने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके रिकॉर्ड की गहन जाँच होनी चाहिए।
- जांच एजेंसियों को बेहतर तकनीक और अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए ताकि वे ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ सकें।
निष्कर्ष
मेहुल चोकसी का एंटीगुआ से फरार होना भारत के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन इससे यह भी साफ हुआ कि आर्थिक अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
भारत सरकार और जांच एजेंसियों को अब और अधिक सतर्कता बरतनी होगी ताकि भविष्य में इस तरह के आर्थिक अपराधी देश से बाहर न भाग सकें।
इस पूरे मामले से भारत को यह सीख मिली है कि प्रत्यर्पण संधियों को मजबूत किया जाए, इंटरपोल जैसी एजेंसियों के साथ तालमेल बढ़ाया जाए और आर्थिक अपराधों के खिलाफ कड़े कानून लागू किए जाएँ।