राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नौकरी के बदले जमीन’ (लैंड फॉर जॉब) घोटाले के सिलसिले में पूछताछ की है। यह मामला उस अवधि का है जब लालू यादव 2004 से 2009 के बीच केंद्रीय रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में नौकरियों के बदले में उम्मीदवारों से उनकी जमीनें ली गईं, जो बाद में लालू यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर हस्तांतरित की गईं।
मामले की पृष्ठभूमि
‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप-डी पदों पर नियुक्तियों के बदले उम्मीदवारों से उनकी जमीनें ली गईं, जो बाद में लालू यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर हस्तांतरित की गईं। सीबीआई ने 18 मई 2022 को लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और कुछ निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
ईडी की जांच और पूछताछ
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की। मार्च 2025 में, ईडी ने लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और बेटियों मीसा भारती, रागिनी यादव, चंदा यादव और हेमा यादव से पूछताछ की। इसके अलावा, पूर्व राजद विधायक अबू दोजाना के परिसरों पर भी छापेमारी की गई।
लालू प्रसाद यादव से पूछताछ
19 मार्च 2025 को, लालू प्रसाद यादव ईडी के समक्ष पेश हुए और अपना बयान दर्ज कराया। इससे पहले, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव से भी पूछताछ की गई थी। तेजस्वी यादव ने इस पूछताछ को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और कहा कि उनके खिलाफ मामले राजनीतिक कारणों से दर्ज किए जा रहे हैं।
आरोपों की गंभीरता
आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान, उम्मीदवारों से उनकी जमीनें ली गईं और बदले में उन्हें रेलवे में नौकरियां दी गईं। ये जमीनें बाद में लालू यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर हस्तांतरित की गईं। यह मामला भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस मामले में विपक्षी दलों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ दलों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है, जबकि अन्य ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।
न्यायिक प्रक्रिया और आगे की कार्रवाई
लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को अक्टूबर 2024 में सीबीआई मामले में निचली अदालत से जमानत मिल चुकी है। अब ईडी की जांच के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालतें इस मामले में क्या रुख अपनाती हैं और आरोपियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।
निष्कर्ष
‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाला भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में से एक है। इस मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ जांच जारी है। आने वाले समय में न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से सच सामने आएगा और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।