परिचय
हर साल, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (UN Sustainable Development Solutions Network) द्वारा विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है, जिसमें दुनिया भर के देशों की खुशी और संतोष स्तर को मापा जाता है। यह रिपोर्ट विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों के आधार पर देशों की रैंकिंग तैयार करती है।
हाल ही में जारी विश्व प्रसन्नता सूचकांक 2024 में भारत की स्थिति को लेकर चर्चा हो रही है। भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, फिर भी इस सूचकांक में अपेक्षाकृत कम स्थान पर है। इस लेख में, हम भारत की रैंकिंग, इसकी तुलना अन्य देशों से, प्रमुख कारक जो इस सूचकांक को प्रभावित करते हैं, और भारत में खुशहाली को बढ़ाने के लिए संभावित उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
विश्व प्रसन्नता सूचकांक क्या है?
विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट (World Happiness Report) हर साल गैलप वर्ल्ड पोल और अन्य वैश्विक डेटा स्रोतों पर आधारित होती है। इसमें नागरिकों की खुशहाली का आकलन करने के लिए कई मापदंडों का उपयोग किया जाता है।
मुख्य कारक जो इस सूचकांक को प्रभावित करते हैं:
- GDP प्रति व्यक्ति – एक देश की आर्थिक स्थिति और नागरिकों की आय का स्तर।
- सामाजिक समर्थन – संकट के समय लोगों को कितना सहयोग मिलता है।
- स्वस्थ जीवन प्रत्याशा – स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और जीवन प्रत्याशा।
- स्वतंत्रता – नागरिकों को अपनी जिंदगी के फैसले लेने की स्वतंत्रता कितनी है।
- भ्रष्टाचार की स्थिति – सरकार और व्यापार जगत में पारदर्शिता और ईमानदारी का स्तर।
- सहृदयता और परोपकारिता – समाज में एक-दूसरे की मदद करने की प्रवृत्ति।
इन मापदंडों के आधार पर दुनिया भर के 150+ देशों को रैंकिंग दी जाती है।
विश्व प्रसन्नता सूचकांक 2024 में भारत की स्थिति
भारत, जो अपनी विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है, फिर भी विश्व प्रसन्नता सूचकांक में अपेक्षाकृत निम्न स्थान पर है।
- भारत की रैंक: 126वां स्थान (कुल 146 देशों में)
- पिछले साल की रैंक: 2023 में भारत 136वें स्थान पर था, जिससे इसमें सुधार हुआ है।
- शीर्ष 5 सबसे खुशहाल देश:
- फिनलैंड (लगातार 7वें साल नंबर 1 पर)
- डेनमार्क
- आइसलैंड
- स्वीडन
- नॉर्वे
- भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति:
- नेपाल: 78वां स्थान
- भूटान: 92वां स्थान
- चीन: 64वां स्थान
- पाकिस्तान: 108वां स्थान
- बांग्लादेश: 94वां स्थान
भारत ने बीते वर्षों में कुछ सुधार किए हैं, लेकिन यह अभी भी शीर्ष 100 देशों में स्थान बनाने में असफल रहा है।
भारत की निम्न रैंकिंग के पीछे के कारण
भारत की कम प्रसन्नता रैंकिंग के पीछे कई सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारक हैं। आइए इन पर विस्तार से चर्चा करें।
1. आर्थिक असमानता और गरीबी
- भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, लेकिन आय वितरण में असमानता बनी हुई है।
- गरीब और अमीर के बीच की खाई काफी गहरी है, जिससे गरीब तबका अपने जीवन स्तर को लेकर संतुष्ट नहीं है।
2. स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति
- भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है।
- मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की भी कमी है, जिससे लोगों की खुशहाली प्रभावित होती है।
3. सामाजिक तनाव और असहिष्णुता
- हाल के वर्षों में धार्मिक और जातिगत तनाव बढ़े हैं, जिससे समाज में नकारात्मकता बढ़ी है।
- महिलाओं की सुरक्षा, अल्पसंख्यकों के अधिकार, और विभिन्न सामाजिक मुद्दे लोगों की मानसिकता पर असर डालते हैं।
4. शिक्षा और बेरोजगारी
- भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के अवसर अभी भी सीमित हैं।
- युवा वर्ग में बढ़ती बेरोजगारी चिंता का विषय बनी हुई है।
5. भ्रष्टाचार और नौकरशाही
- भारत में सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की व्यापकता नागरिकों की खुशहाली पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
भारत में खुशहाली को कैसे बढ़ाया जा सकता है?
भारत को अपनी रैंकिंग सुधारने और नागरिकों की खुशहाली बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:
1. आर्थिक सुधार और समानता
- गरीबी कम करने के लिए नए रोजगार सृजन कार्यक्रम लागू किए जाएँ।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आर्थिक विकास में संतुलन बनाए रखा जाए।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- स्कूलों और कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
3. सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देना
- जाति, धर्म और क्षेत्रीय भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक कार्यक्रम लागू किए जाएँ।
- मीडिया और सरकार को एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
4. शिक्षा और रोजगार में सुधार
- व्यावसायिक शिक्षा और स्टार्टअप को बढ़ावा देने की जरूरत है।
- स्कूली शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा और जीवन कौशल पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
5. भ्रष्टाचार पर सख्त नियंत्रण
- सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल भारत और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना चाहिए।
- कड़े कानून बनाकर भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
अन्य देशों से भारत को क्या सीखने की जरूरत है?
1. फिनलैंड की नीति:
- यहाँ सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा प्रणाली बहुत मजबूत है।
- नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाएँ मिलती हैं।
2. डेनमार्क का मॉडल:
- भ्रष्टाचार न के बराबर है और सरकारी तंत्र पारदर्शी है।
3. भूटान का “ग्रोस नेशनल हैप्पीनेस” (GNH) मॉडल:
- भूटान में आर्थिक विकास से ज्यादा लोगों की खुशी को प्राथमिकता दी जाती है।
- पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित रखा जाता है।
निष्कर्ष
विश्व प्रसन्नता सूचकांक में भारत की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार, समाज और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। आर्थिक प्रगति के साथ-साथ सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
भारत को अपनी सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि को सकारात्मक तरीके से उपयोग करना होगा ताकि यह सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक रूप से भी एक समृद्ध राष्ट्र बन सके।
अगर सही कदम उठाए जाएँ, तो आने वाले वर्षों में भारत की रैंकिंग में सुधार देखा जा सकता है और देश एक खुशहाल समाज की ओर अग्रसर हो सकता है।